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लेखनी प्रतियोगिता -25-Jun-2022मेरा अनुभव

यह घटना 1971-72 की है मै उस समय दसवी में पढ़रहा था उस समय मेरी उम्र केवल 13 बर्ष की थी।  उसी बर्ष उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शिक्षा बोर्ड ने एक नया नियम  लागू किया कि जिन क्षात्रौ की उम्र चौदह बर्ष से कम है उनको दसवी की परीक्षा में   बैठने की अनुमति नही दी जायेगी।


      मेरी उम्र भी पूरे चौदह बर्ष  नही़ थी। अतः स्कूल के प्रबन्धन ने मुझे भी बताया कि तुम दसवी की परीक्षा में नही सम्मलित हो सकते हो।

        यह सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ और मै अपने घर आकर बहुत रोया। मेरी माताजी को मेरी बहुत चिन्ता होगयी। वह मेरे पिताजी से बहुत नाराज हुई और उनसे बोली आप तो स्वयं एक स्कूल चलारहे हो आप  अपने बेटे का खयाल न रख सके। फिर मेरे पिताजी व माताजी मेरे स्कूल के प्रधानाचार्य से मिले।

      उन्हौने मुझे परीक्षा मे सम्मलित करवाने और मेरा फार्म इस शर्त पर भेजने को कहा कि यदि बोर्ड मेरा फार्म कैन्सिल करदेगा तब मेरा बेटा परीक्षा नही देपायेगा तो कोई बात नही है आप मेरे बेटे का फार्म भेजो जो होगा  वह हमारा भाग्य होगा।

      अधिक अनुनय विनय करने पर प्रधाना चार्य मान गये और मेरा फार्म भिजवा दिया।

            बोर्ड ने मेरा फार्म स्वीकार कर लिया। और मुझेमेरा अनुक्रमांक ( रौल नम्बर)  अलोटमेंट कर दिया जिससे मैने  समय पर सब पेपर दिये  । जब  परिणाम घोषित किया गया तब मेरा रौल नम्बर नही अर्थात समचार पत्र मे मेरा रौल नम्बर न आने का मतलब मैं फेल हूँ।

           परन्तु मेरे दिल की आवाज कह रही थी कि मै फेल नहीं हो सकता हूँ। जब कि मेरे पिताजी मुझसे इस बात पर नाराज थे कि हमने कितनी कोशिश व उनसे बार बार कहने पर तेरा फार्म भिजवाया था परन्तु तू फेल होगया। अब हम  उनसे कैसे   सिर उठाकर बात कर सकेगै।

           मुझे भी कभी कभी  अपने ऊपर गुस्सा आरहा था। परन्तु मेरे दिल से एक ही आवाज आरही थी कि मैं फेल कैसे होगया मेरे सभी पेपर बहुत अच्छे हुए थे।

              परन्तु अखबार मे मेरा रौल नम्बर नही था इसका साफ मतलब था कि मै फेल हूँ।

      लगभग चखर पाँच दिन बाद कालेज में नम्बरौ की लिस्ट आती है सच्चाई तो उससे पता लग सकती थी। मैने चार पांच दिन तक  प्रतीक्षा की और मै सभी के क्रोध का शिकार बनता रहा।

मै और मेरे बडे भाई साथ साथ पढ़ते थे वह भी  फेल थे। हम दोनौ भाईयौ का ही रिजल्ट फेल दिखा रहा था।

       जब नम्बरौ की लिस्ट  कालेज में आगयी तब मै अपने नम्बर देखने कालेज पहुँचा। जब मै आफिस मे गया तब वहाँ के बाबूजी ने बताया बेटा तुम सैकिन्ड डिवीजन पास हो परन्तु बोर्ड ने तुम्हारा परिणाम रोक दिया है क्यौकि तुम्हारी उम्रचौदक्ष साल से कम है।

       अब मुझे य। खुशी हुई कि मै फेल नहीं हूँअब मै अपने पिताजी कह सकता हूँ कि आपकी मेहनत खराब नही हुई। जब यह बात मेरे माताजी पिताजी को मालूम हुई तब उनका गुस्सा शान्त होगया।

          उस बर्ष पूरे उत्तर प्रदेश में ऐसे चार लाख के लगभग बच्चे थे जिनका परिणाम निरस्त किया गया था।

      सभी मिलकर बोर्ड पर केस किया कि यदि हमारी उम्र कम थी तब आपने हमारा फार्म क्यौ स्वीकार किया हमें रौल नम्बर क्यौ अलाट किया। हमें परीक्षा क्यौ देने दीगयी। फिर  हमारी उत्तर पुस्तिका को जाँचकर हमे नम्बर क्यौ दिए गये?

      इस तरह बोर्ड को हमारा रिजल्ट घोषित करना फडा़ यह रिजल्ट चार जनवरी 1973 को घोषित हुआ जो हमें 10 जनवरी 1973 मिला। हम जीत गये लेकिन एक साल गवाँ बैठे अर्थात इसमें हमारा एक बर्ष खराब होगया।था।

       इस तरह दिल की आवाज सत्य हुई ।

     यह स्वयं मेरा अपना अनुभव है।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु मेरा ़लेख।

नरेश शर्मा " पचौरी "

25/06/२०२२



      






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6 Comments

Punam verma

27-Jun-2022 08:44 AM

Nice

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Kusam Sharma

26-Jun-2022 09:16 AM

Nice

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Abhinav ji

26-Jun-2022 08:19 AM

Nice👍

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